भारतीय कर्नाटक शास्त्रीय गायिका एम एस सुब्बुलक्ष्मी, (Subbulakshmi) जिन्हें मदुरै शन्मुखवदिवु सुब्बुलक्ष्मी भी कहा जाता है, अपने गायन के लिए प्रसिद्ध थीं। 16 सितंबर, 1916 को तमिलनाडु के मदुरै में जन्मी वह भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक प्रसिद्ध हस्ती थीं। संगीत में, विशेषकर कर्नाटक शैली में उनके योगदान के कारण, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी को कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं।
यहां M.R की संक्षिप्त जीवनी दी गई है। सुब्बुलक्ष्मी:
प्रारंभिक जीवन:
M.S. R Subbalakshmi का जन्म एक समृद्ध संगीत विरासत वाले परिवार में हुआ था। उनकी माँ, शन्मुखवदिवु, एक वीणा वादक थीं, और उनकी दादी, अक्कम्मल, एक वायलिन वादक थीं। छोटी उम्र में ही उनकी प्रतिभा को पहचानकर उनकी माँ और दादी ने उन्हें संगीत का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। सुब्बुलक्ष्मी के संगीत के शुरुआती अनुभव ने उनकी बाद की सफलता की नींव रखी।
प्रसिद्धि के लिए वृद्धि:
R Subbalakshmi की प्रतिभा छोटी उम्र से ही स्पष्ट हो गई थी और उन्होंने 11 साल की उम्र में अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन दिया था। उनकी सुरीली आवाज और गायन के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करने की असाधारण क्षमता ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्हें जल्द ही पहचान मिल गई और वह कर्नाटक संगीत जगत में एक लोकप्रिय कलाकार बन गईं।
फ़िल्मी करियर:
शास्त्रीय संगीत में अपने योगदान के अलावा, M.S. R Subbalakshmiने भारतीय फिल्म उद्योग में भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कुछ तमिल और हिंदी फिल्मों में अभिनय किया और अपने अभिनय के लिए प्रशंसा अर्जित की। उनकी उल्लेखनीय भूमिकाओं में से एक फिल्म “मीरा” थी, जिसमें उन्होंने प्रसिद्ध संत-कवयित्री मीरा बाई की भूमिका निभाई थी।
Actress R Subbalakshmi Passes Away at 87Indian Carnatic classical vocalist M S Subbulakshmi, also called Madurai Shanmukhavadivu Subbulakshmi, was well-known for her vocals. Born in Madurai, Tamil Nadu, on September 16, 1916, she was a famous figure in Indian classical musicClick HereSubbulakshmiHere is a brief biography of M.S. Subbulakshmi:
Click HereMS Subbulakshmi Biographyभारतीय कर्नाटक शास्त्रीय गायिका एम एस सुब्बुलक्ष्मी, (Subbulakshmi) जिन्हें मदुरै शन्मुखवदिवु सुब्बुलक्ष्मी भी कहा जाता है, अपने गायन के लिए प्रसिद्ध थीं। 16 सितंबर,Click Here
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भक्ति संगीत: M.S. Subbulakshmi’s की भक्ति संगीत की व्याख्या, विशेष रूप से पुरंदर दास और अन्नमचार्य जैसे पारंपरिक संगीतकारों द्वारा की गई व्याख्याओं को अत्यधिक सम्मान दिया गया। कई धार्मिक पृष्ठभूमि के लोग उनके भक्ति संगीत से जुड़ने में सक्षम थे, जिसमें भजन और भजन शामिल थे।
विदेश में पहचान: M.S. Subbulakshmi’s की प्रसिद्धि भारत की सीमाओं से परे चली गई, क्योंकि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में कई प्रदर्शनों में भाग लिया। वह अपनी संगीत उपलब्धियों के लिए 1966 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार पाने वाली भारत की पहली कलाकार थीं।
सम्मान एवं पुरस्कार: M.S. Subbulakshmi’s को उनके करियर के दौरान ढेर सारी प्रशंसाएं मिलीं, जिनमें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार शामिल हैं। विदेशों और भारत दोनों में, संगीत उद्योग में उनके योगदान को खूब सराहा गया।
विरासत: शास्त्रीय संगीत के प्रशंसक आज भी एम.एस. का आनंद लेते हैं। सुब्बुलक्ष्मी की रिकॉर्डिंग और उनकी विरासत अभी भी मजबूत है।
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